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२१ बी सदी में विज्ञानं ने एक ओर चाँद पर फ्लैट खरीदने शुरू कर दिए है, दूसरी ओर हमारे देश में चाँद के कुप्रभाव से बचने के लिए अनुष्ठान किये जाते है.मुझे कुछ न्यूज़ चैंनल से भी शिकायत है ,कुछ तो सरे दिन राशिफल ,शुभ अशुभ बताकर जनता को भाग्यवादी बना रहे है .यह भौतिक जगत क्रिया और कर्म पर आधारित है .जैसी क्रिया होगी वैसा ही कर्म .मिडिया को अन्धविश्वास दूर करना चाहिए .न की बढ़ावा देना चाहिए .मै ज्योतिष का सम्मान करती हु ,गणित विद्या है .लेकिन आडम्बर ,अनुष्ठान ,गृह प्रकोप का विरोध करती हु.कोई भी गृह -नक्षत्र हमे आलसी नहीं बनता .कुछ लोग तो खाना भी मुहरत देखकर कहते है,सुबह अशुभ,राहु-केतु के फेर में न पड़कर अपने कर्म पर भरोषा करना चाहिए .कुछ औरते दिनों का बहुत हिसाब रखती है ,आज somvar हैनहाना नहीं ,मंगल को बल नहीं धोना,बुध को सबरना नहीं,ब्रश्पति को काजल नहीं, …..इत्यादि अरे किसने बना दिए ये नियम .सब दिन भगवन के बनाये हुए है और कण-कण में ईश्वर का वास है तो क्या ईश्वर भी शुभ अशुभ हो गया.??परिस्थिति के अनुसार कार्य करना चाहिए . मै मिडिया से विनर्म निवेदन करती हु,अन्धविश्वास न फैलाये,बल्कि विज्ञानं और विश्वास बढ़ाएं .
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