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सभी बुद्धिजीवी पाठक वर्ग से निवेदन है की मुझे बताये क्या लड़की होना गुनाह है क्या ?क्या किसी को प्यार करने की ये सजा मिलती है ? क्या आज भी सिर्फ लड़की ही समझोता करती रहे अपना वैवाहिक जीवन बचाने को .
बस बहुत हो गया ,अब मुझे इन्साफ चाहिए .मई अपने आत्मसम्मान के साथ समझोता नहीं कर सकती .मैंने अपने पति पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया , खुद से ज़्यादा प्यार किया, लेकिन उन्होंने मेरा विश्वास तोड़ दिया अब तो मेरा भी विश्वास उठ गया प्यार सब्द से .किस बात की सजा मिली है मुझे ?क्या गलती है मेरी ?अपने माँ -बाप से मिलना गुनाह है क्या ?मेरी शादी हो गयी तो क्या सारे रिश्ते टूट गए मेरे उनसे ?लड़की वालो का कोई सम्मान नहीं होता क्या ?मुझे जबाब चाहिए इस समाज से , कानून से , मानवता से ,मेरी गलती क्या है ?लड़की होना गुनाह है क्या?हर बार रिश्ता निभाने के लिए लड़की ही झुके , वो ही क्यों अपमान सेहटी रहे ,क्यों ? अाखिर क्यों ?समाज क्यों नहीं साथ देता लड़कियों का ? लड़की ही कसूरवार क्यों ?पति भगवन कैसे हो गया जब उसे अपनी पत्नी के सम्मान की चिंता ही नहीं .बार -बार अपमानित करना ,अमानवीय व्यव्हार करना ,अपसब्दो का प्रयोग , मारपीट , मानसिक उत्पीड़न कब तक सहे ये सब ?क्या ऐसे पति को माफ़ किया जा सकता है ?जो २० दिन की जच्चा को धोके से बाजार जाने का बहाना कर , बीच सड़क पर छोड़कर चला गया .उसपर भी गलती लड़की की माफ़ी भी लड़की मांगे क्यों?कोई बताएगा क्या ऐसा इंसान प्यार के काबिल है ?
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