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एक ज़िंदगी ऐसी भी

swabhimaan
swabhimaan
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एक पार्क में कितने ही भिन्न -भिन्न व्यक्तित्व
बिना किसी भेदभाव के
बिना किसी ईर्ष्या -द्वेष के
आते है जीने सिर्फ
अपने हिस्से की ख़ुशी
बिना किसी दूसरे की सीमा का अतिक्रमण किये
पते हैं अपने लिए अपना आसमान
मानवता का सच्चा उदहारण
यहाँ देखने को मिलता है
अमीर -गरीब ,गोरा -कला
कोई भेद नहीं
सब एक saman
बस एक रिश्ता sabke बीच
मानवता का
kash puri duniya sikhe
is पार्क se
jiya kese jata है ………………….

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