swabhimaan
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वो गलिया, वो चोबारा
छोड़े हुए तो अरसा हुए
जुम्मा -जुम्मा आठ दिन
पर न जेन आज क्यों ऐसा लगा
बरसो बीत गए
उन गलयिोंको गुजरे थे कभी
बचपन बीता उन गलियो में
उन फ़िज़ाओं में
इतनी आसानी से केसे
भुलाया जा सकता है उन्हें
उन लम्हो को
जिन्होंने मेरे आज का निर्माण किया
मेरा व्यक्तित्व बनाया
मुझे मुझसे मिलाया
कितनी खूबसूरत होती है यादें
और कितना खूबसूरत लगता है अतीत
पर
इन यादों में खोकर
सायद मेरा ‘आज’ यु ही व्यर्थ हो गया
तो आने वाले कल का निर्माण केसे होगा
कल जो बीत गया
कल जो आने वाला है
जो जोड़े है दोनों को
वो है ‘आज ‘
यादो को अपनी हसी बनाकर आज के संघर्ष से
आने वाले कल को सजाना है
ये यादों का मौसम भी कितना दीवाना है …………………
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