Menu
blogid : 12870 postid : 51

मन की ख़ुशी

swabhimaan
swabhimaan
  • 82 Posts
  • 110 Comments

ख़ुशी की तलाश मई हम दूर तक गए
इधर न मिली उधर न मिली
यहाँ न मिली , वहां न मिली
बैठी थी एक कोने में
लगी थी रोने-धोने में
मैंने पूछा क्या बात हुई
नाम तो ख़ुशी ,और खोई हो झेमेलो में
उसने कहा –
तुम्हारी उदासी मुझे
नहीं देती बाहर
तुम मुस्कारो तो
मैं आती हु बाहर
जिसे ढूँढा साडी दुनिया में
मिल जाएगी तुम्हे अपनी हंसी में
मेरे हँसते ही फैल गयी ख़ुशी
चहुँ और और बखेर दिए
इन्द्रधनुषी रंग जिंदगी में
अब मुझे हर पत्ता हँसता हुआ लगता है
कबूतर का फुदकना , चिड़िया का चेह्कना
सबमे संगीत बजता है
बादलो से बनती -बिगडती आक्रति
सुंदर है ये प्रक्रति
बारिश की बूंदों में जीवन समाया लगता है
ख़ुशी ही ख़ुशी , मन की ख़ुशी
मुझमे ही मिली , मेरी हंसी से खिली ……….

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply