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खुदी को कर बुलंद इतना

swabhimaan
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हमे नहीं पता आपको कैसा भाषण चाहेये हम तो आपको अपनी जिंदगी का दर्शन बता देते है उसी को सम्पादित कर आप अपने विद्यार्थियों को सुना देना
1) खुद से ईमानदार रहे :- कोई किसी को धोखा नहीं देता ,हम स्वम ही खुद को धोखा देते है . कहते कुछ है ,करते कुछ है , हम सबमे से अधिकांश को पता ही नहीं होता की हम चाहते क्या है ?फिर “कुछ “न मिलने की शिकायत कैसे कर सकते है ? तो पहले स्वम को पहचानो ,अपनी क्षमताओ को पहचानो और फिर उनका सही दिशा में सही प्रयोग करें
2). शिकायत करना छोड़े :- अधिकतर लोगो को किसी न किसी से कोई शिकायत हमेशा बनी रहती है ,इसलिए वो कभी खुश नहीं रह पाते ,सबसे पहले यह शिकायत करने की आदत छोड़े .हम आज जो भी है ,उसके लिए हम स्वम् ज़िम्मेदार है .अगर हम हसना नहीं चाहते तो कोई हमे हँसा नहीं सकता , और जब तक हम खुद न चाहे कोई हमे रुला नहीं सकता ,तो दुसरो को दोष देने से क्या फायदा .ऐसा करके आप खुद भी दुखी होंगे ओरो को भी दुखी करेंगे .भगवानजी से भी किसी चीज़ की कोई शिकायत नहीं करनी चाहेये कि हमे कुछ नहीं दिया , जो दिया है उसके लिए धन्यवाद देना चाहेये . इतनी सुंदर स्रष्टि दी उसे अनुभव करने के लिए शरीर दिया ,तो उस ईश्वर को क्र्तग्यता ज्ञापित करनी चाहेये . ये दुनिया एक दर्पण है , जैसा आप चाहेंगे स्वम् को देखना ,वैसा ही आपको दर्पण दिखाई देगा . तो दुनिया को बदलने की कोई ज़रूरत नहीं स्वम् को बदलो खुद अछे बन जाओ ,दुनिया अपने आप खुबसूरत हो जाएगी .
3). बहानेबाजी से बचें :- किसी भी नए काम को करने से पहले बहाना बनाना हमसे नहीं होगा ,दुनिया की सबसे ख़राब आदत है .दुनिया में 90 % लोग इस बीमारी से ग्रषित पाए जाते है .उनके पास हर समय कोई न कोई बहाना तैयार रहता है .सच तो यह कि हम जो करना चाहते है वही करते है , और जो नहीं चाहते उसके लिए बहाना बना देते है ,कोई भी काम असंभव नहीं ,हम अपनी प्राथमिकता के अनुसार प्रत्येक कार्य की प्राथमिकता तय करते है ,जो कहते है न समय नहीं मिला वही समय को सबसे ज्यादा बर्बाद करते है , कोई उनसे पूछे उन्होंने समय को धुन्ध ही कब ?
4). काबिल बने ,कामयाबी के पीछे न भागे :- सीखने के लिए पढ़े ,अंको के फेर में न पड़े , डिवीज़न के पीछे न भागे अगर आपका लक्ष्य सिर्फ उच प्राप्तांक या प्रथम श्रेणी है तो आप कुंठा के शिकार भी हो सकते है क्यूंकि मार्कशीट जैसा कागज का एक टुकड़ा आपका मूल्याकन नहीं कर सकता . खुद को काबिल बनांए कामयाबी स्वम् आपके पास आएगी .
5). स्वम् को जाने :- अधिकांश लोग सारी उम्र दुसरो को जानने में ही बिता देते हैं कभी खुद को जानने की कोशिश नहीं करते .जबकि दुसरो को जानने के लिए भी पहले खुद को जानना ज़रूरी है .हम क्या है ? हमारी क्षमताएं क्या है ?हमारे सकारत्मक /नकारात्मक पहलु क्या है ?हमारी जिन्दी का उद्देश्य क्या है ?जब तक हम अपना सम्मान स्वम् नहीं करेंगे तो दुनिया भला क्यों सम्मान करेगी ?आत्मसम्मान के साथ कभी समझोता न करें। हर समय रोने झींकने की आदत से बचे , दुसरो की सहायता करें। सबको आगे बढ़ाये देना सीखे , लेने की अपेक्षा मत करें।जिओ तो फुल की तरह ,बिखरो तो खुसबू की तरह ,और बनो तो सिर्फ अपनी तरह .कभी किसी की नक़ल करने की कोशिश न करे अपनी स्वभाभिकता अपनी पहचान बनाये रखें। दुसरो से कभी अपनी तुलना न करें .
खुदी को कर बुलंद इतना , की हर तदबीर से पहले खुद वन्दे से यह पूछे बता तेरी रजा क्या है ?

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