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zindgi tu itni buri bhi nahi hai

swabhimaan
swabhimaan
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जी चाहता है समेट लू
खुशियों को अपनी मुठी में
जब भी होगा गमो से सामना
खोल दूंगी इन पालो को चारो ओर
और ये पल मुस्करायेंगे
उस समय भी
जब गीली होंगी पलके
जब बुझने लगेंगी उम्मीदे
तब इन यादो का दिया
देगा मुझे नयी रौशनी
मिलेगी नयी राह
और में मुस्कराकर कहूँगी
जिंदगी तू इतनी बुरी भी नहीं है …………….
वंदना शर्मा

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