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pagal ladki

swabhimaan
swabhimaan
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क्या कहे इसे
दीवानगी ,पागलपन या अदम्य साहस
मूर्खता तो नहीं कह सकते
जब सोच -समझकर खुद पिया जाता है ज़हर
पता है इस राह की मंजिल नहीं
पर रास्ते बहुत खुबसूरत है
और इंसान जाता है उसी राह
खुद को बर्बाद करने की हिम्मत
सबमे कहाँ होती है तो
क्या कहा जाये इसे
मोह्बब्त ,इबादत या कुछ और
इतना मनोबल होता है उस समय
दहकते अंगारों पर भी उसे
पथ की दहकता नहीं
किसी की ख़ुशी दिखाई देती है
हँसते -हँसते लुटा देता है अपना सबकुछ
किसी एक के चेहरे पे
लेन को मुस्कान
आज तक नहीं कर पाया परिभाषित
कोई भी इंसान
क्या है ये ? खुद मिटकर भी
देना दुसरो को मुस्कान
प्रेम ,इश्क , चाहत ,और
भी है कई इसके नाम ………
वंदना शर्मा
Posted by vandna sharma at 7:01 AM No comments:
भूल जाना उस समय मुझे
जब मै तुम्हारी खुशियों के बीच आऊ
पर याद रखना जब
तन्हाई आकर घेरे
मै मीठी यादो की मुस्कान
बन तुम्हारे होंठो पे सज जाऊ
जब जिंदगी की धुप तपाये तुम्हे
याद रखना उस वक़्त मुझे
तुम्हे शीतल करने को बारिश की बूंदे बन जाऊ
जब कोई साथ न दे अपना
जब टूटे कोई सपना
न दे दिखाई कोई राह
याद करना उस वक़्त मुझे
तुम्हारी हिम्मत , तुम्हारा सहारा बन जाऊ
तुम्हारी ख़ुशी ,तुम्हारी हसी बन जाऊ
जब विस्वास तुम्हारा डगमगाए
जब कोई मुस्किल पड़ जाये
याद करना उस वक़्त मुझे
तुम्हारा विश्वास , तुम्हारा साथ बन जाऊ
तुम्हारी जीत , तुम्हारी मंजिल बन जाऊ
भूल जाना उस समय मुझे
जब मै तुम्हारी खुशियों के बीच आऊ ……….
Posted by vandna sharma at 6:18 AM No comments:
Sunday, May 27, 2012
एक राजा की सुनो कहानी
एक थी उसकी प्यारी रानी
राजा को लगती भूख बहुत
रानी को आती नींद बहुत
रानी खाना बनाये केसे
राजा भूख भगाए केसे
एक दिन दोनों में हुई खूब लड़ाई
एक -दूजे पर की तानो की खूब चढाई
रानी थक कर रोने लगी
राजा थक कर सोने लगा
सुबह जब दोनों की आँख खुली
अपनी अपनी गलती का एहसास हुआ
दोनों ने अपनी गलती मानी
नहीं लड़ेंगे फिर कभी ,दोनों ने ठानी
ख़त्म हुई ये कहानी
गुस्सा न करो पी लो पानी
ये दुनिया है आनी -जानी
सबसे बोलो मीठी वाणी ………….
Posted by vandna sharma at 6:27 PM No comments:
जी चाहता है समेट लू
खुशियों को अपनी मुठी में
जब भी होगा गमो से सामना
खोल दूंगी इन पालो को चारो ओर
और ये पल मुस्करायेंगे
उस समय भी
जब गीली होंगी पलके
जब बुझने लगेंगी उम्मीदे
तब इन यादो का दिया
देगा मुझे नयी रौशनी
मिलेगी नयी राह
और में मुस्कराकर कहूँगी
जिंदगी तू इतनी बुरी भी नहीं है …………….
वंदना शर्मा
Posted by vandna sharma at 6:18 PM No comments:
Sunday, May 20, 2012
एक अजीब दास्ताँ इसक की पढ़ी मैंने
गलियाँ फूलो की छोड़ , कांटो की राह चुनी मैंने
सबकी प्यास बुझाती नदिया देखी
नदियों की प्यास बुझाता समंदर देखा
पर उसी समंदर को प्यार में प्यासा देखा मैंने
दो किनारे कभी न मिल पाए
पर उन किनारों को पाने की आस में
तडपती लहरें देखी मैंने
धरती ने चाहा अम्बर से जब मिलना
एक नयी छटा क्षितिज की तब देखी मैंने
एक अजीब दास्ताँ इसक की पढ़ी मैंने
एक बूँद प्यार की आस में
सदिया लुटती देखी मैंने
कान्हा का प्यार भी देखा मैंने
राधा की तड़प भी देखी मैंने
खुद मिटकर भी किसी को जिंदगी देना
किसी की ख़ुशी के लिए
किसी को आंसू पीते देखा मैंने
टूटता तारा तो सबने देखा
पर जिससे वो अलग हुआ
उसका दर्द न देखा किसी ने
चाँद की सुन्दरता देखी
तारो की चमक भी देखी
असीम आकाश की शुन्यता को भी देखा मैंने
एक अजीब दास्ताँ इसक की पढ़ी मैंने
Posted by vandna sharma at 6:21 AM No comments:
उफ़ ये गर्मी
ज्येष्ठ की तपती दोपहरी
इतनी उमस और बेचैनी
छीन लेती है साडी उर्जा
उसपर बिजली की ये मनमानी
आँखे भी तरसे शीतल छाया को
रुखा -रुखा मौसम
बारिश को तरसे मन
केसे खिलखिलाए मन
उफ्फ्फ ! ये गर्मी
कुछ कम नहीं हो सकती
कैसे सहती होंगी ,वो मजदूर औरते
जो दिन भर खेतो व् भत्तो पे मजदूरी करती हैं
और एक मैं हु छोटी सी जान
गिरी -गिरी अब गिरी
जाने कहाँ कब गिरी
उफ्फ्फ ये गर्मी
थोड़ी सी बारिश रोज़ नहीं हो सकती
उफ़ ये गर्मी ……….

vandna sharma
Gulab hun khusbu lutati hu
बुझती हुई उम्मीदों के लिए एक उम्मीद बनना चाहती हु …
दोस्तों , आज से मै अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रही…
क्या कहे इसे दीवानगी ,पागलपन या अदम्य साहस मूर्खता…
भूल जाना उस समय मुझे जब मै तुम्हारी खुशियों के बी…

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